लेखनी प्रतियोगिता -19-Oct-2022
" दीदार "
साहित्य साधना से साधक,
बनकर प्रेमी प्यार करें।
कवि अपनी कविताओं में,
ईश्वर का दीदार करें।
दीवाने महबूब को जब,
दिल से याद वो करते हैं।
दीवार में भी यार के,
दीदार हुआ करते हैं।
दिल में दस्तक देने वाले,
निज दीदार करा भी दो।
करीब आकर तन्हाई की,
यह दीवार गिरा भी दो।
व्याकुलता बेसब्री बढ़ती,
कब चेहरा दीदार करेंगे।
ईद के चाँद जल्दी आना,
प्रेम का इजहार करेंगे।
इन निगाहों की टिकी है,
हसरतें दीदार पर।
हमने छोड़ा फैसला अब,
अहलेदिल-दिलदार पर।
आ भी जा ये दिल लगे न,
हँसता है रोए न गाये।
कब से बैठे हम यहाँ,
दीदार में आंखें बिछाये।
अपनी उल्फ़त याद करके,
आँखों मे चेहरा छा गया।
सूरते दीदार करके,
आईना शरमा गया।
अमर सिंह राय
नौगांव, मध्यप्रदेश
Abhinav ji
20-Oct-2022 09:28 AM
Nice
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
20-Oct-2022 09:04 AM
बहुत ही सुंदर सृजन
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Punam verma
20-Oct-2022 08:50 AM
Very Nice sir
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